ऐ स्त्री ....

ऐ स्त्री ...... तेरे गोद के ब्रह्मांड मे कभी मन के बोझ से भारी सिर रख कोई पुरुष अगर फफक कर रो पड़े …

प्रेम में स्त्री ❤️

एक स्त्री मात्र हृदय नही चुराती वो चुरा लेती है संपूर्ण पुरूष को.... उसके स््त्रीत्व का अधिपत्य हृ…

Latest Posts

हर इंसान ठहरने को नहीं होता कुछ लोगों का काम होता है बहना  और वो‌ बहाव होता है सतत् ।एक जगह टिकने क…

मनुष्य का मूल प्रेम करने से शुरू होता है लेकिन अगर मनुष्य एक मनुष्य से प्रेम नहीं कर सकता तो फिर व…

जो पीड़ा नहीं जानते ,वो आस्था नहीं जानते जो भावनाएं नहीं जीते,वो जीवन नहीं जानते जो  है मन से मजबूत …

पीड़ाओं को लिए शब्द लिखते समय  एक हूक सी उठती है दिल में जिसे मैं कभी लिख नहीं सकती  सच तो ये है ना प…

दर्प

दर्प की एक बड़ी चुनौती स्वयं उसकी खुद से भी रही है दरअसल वो बड़ा अस्तित्वविहीन रहा है जिससे कहा जा …

तथाकथित मौन

मस्तिष्क सदैव युद्धरत रहा  गंवारपन और बुद्धिजीवी होने के मध्य  एक ओर वो बुद्धिजीवियों का साथ  चाहता त…

स्मृति

कहते है स्मृतियो को कभी मोक्ष नसीब नही होता... वो रहती है हमेशा  अतृप्त होकर नही मिलता कोई  तैरने की जम…