हर इंसान ठहरने को नहीं होता कुछ लोगों का काम होता है बहना 

और वो‌ बहाव होता है सतत् ।एक जगह टिकने की गुंजाइश जिंदगी में अगर बच जाय तो वो जिंदगी मेरे देखने में छोटी हो जाती है।

उम्र का बीस पच्चीस वाला जो पड़ाव होता है न वो महज बीस पच्चीस का उम्र नहीं होता ,इसमें समेटने को बहुत कुछ होता है और छोड़ने को भी बहुत कुछ ।उम्र का एक ऐसा युग्म जहां त्याग भी विकसित करना होता है और उसी दिल में कचोटते दर्द के साथ जो जिंदगी आपको दे रही उसे हंसते हुए अपनाना भी पड़ता है।

यहां आते आते आपके पास ढेरों यादें इकट्ठा हो चुकी होती है 

बचपन की यादे, स्कूल -कालेज और जब जब छिपकर अकेले सिसकते हुए रोये उनकी गिनती भी ।वैसे तो एक इंसान के जीवन में कुछ भी निजी नहीं होता लेकिन निजी बहुत कुछ होता है जैसे आपने पहली  बार प्रेम को कब महसूस किया और कब आपने नादानियों में गढ़ लिए थे उसके साथ जीने को अनेको ख्वाब ।

पूरा हुए या ना हुए सो बात अलग लेकिन आपने अहसासो में ही उसे जिया और इतना जिया कि अगर वो इंसान मिल भी जाता तो आप उतना नहीं जी पाते ।

अक्सर मैं शिकायत करती जिंदगी से जब देखती थी कि प्रेम में लोग बिछड़ जाते हैं या संवेदनशील होने का नतीजा था कि पाती की कैरियर और प्रेम एक ही साथ लोगों के जीवन में क्यों आता है ?लड़कों को जब देखती जो मेरे उम्र के थे ब्रेकअप में रोते ,नींद की गोलियां लेते , परीक्षाओं में फेल होते और ये सबकुछ एक साथ हो रहा होता था उन लड़कों के जिंदगी में... लड़कियों को ऐसा करते कम देखती कारण क्या था ?शायद वो दबाव में रहती या उनमें सहने की ताकत अधिक होती है .....

और इन सबके साथ अक्सर सुनती मोटिवेशनल स्पीकर वालों की बातें कि "लड़कों यही उम्र है पढ़ लो,बाबू शोना बहुत मिलेगी"

क्या खाक मिलेगी ?होगी बहुत मिलेगी और जिसे दिल मिले वो ना मिले फिर सबकर मिलकर भी क्या मिलना ।दरअसल ऐसा कहने वालों के जिंदगी में शायद प्रेम नहीं आया वो महसूस ना कर पाए वो नादानियां,वो किस्से जो संभाल कर रखते तो बुढ़ापे में जवानी के इश्क की यादें दिलाते ।जानते हैं जो लोग बस भागते हैं न ज़िन्दगी में उन्हे ज़िन्दगी सबकुछ दे देती है लेकिन उनसे उनकी यादें छिन लेती है कि जब वो सुस्ताने को आंख बंद करें तब एक भी मीठी सूकून की यादें ना हो...ना दिखे वो नीले सूट वाली लड़की जिसने आपको पसंद है इसलिए सारी आलमारी नीले कपड़ों से भर रखी थी ना ही ये याद आए कि जब जब आप टुटते थे एक लड़की होती थी जो संभालकर कहती थी" पागल हो सब ठीक हो जाएगा"?

अक्सर ये सुनती थी कि या तो जिन्दगी में प्रेम पहले आता है या पच्चीस के बाद भी प्रेम होता है लेकिन मेरे सुनने और देखने में हमेशा से फर्क रहा है मैं जो सुनी वो कभी देख नहीं पाती ।

मैं पच्चीस के बाद वाला प्रेम कभी नहीं देख पायी शायद गलत होऊं लेकिन मुझे पच्चीस के बाद वाले प्रेम के नाम पर सिर्फ एक जिम्मेदारी दिखी ..टुटना बिखरना और एक का संभालना ये सब नहीं पाती लोगों में एक समझ थी और समझ के साथ दिल का नाता बेमेल रहा है।आप उस उम्र में किसी के लिए रो नहीं सकते या किसी के लिए आवाज बेसुरा होने के बाद भी गाना नहीं सीख सकते ..आपने भले स्कूल कालेज में मिलने वाले चित्र बहनों और दोस्तों की चार कामों के बदले में कर बनावाया हो लेकिन सिर्फ उस लड़की को पसंद है इसलिए आप पेंसिल से उतार देते हैं उसका चित्र ..आप नहीं किए हों भले मां के रोटी बनाने में मदद लेकिन उस  लड़की के गोल चेहरे को याद करते करते आप गोल रोटी बनाना सीख जाते है..आप ये भी सीख जाते हैं कि मन ना हो फिर भी पढ़ना है वरना नहीं पढ़ने की सजा में हफ्ते भर बात नहीं होगी और कब  प्रेमिका के टुटने पर आप पिता बन जाते हैं ये भी आप सीख जाते हैं......❤️

साहब प्रेम वो सबकुछ सीखा देता है जो आपको एक जिंदगी में सीखनी चाहिए। वो आता है तब भी सीखाता है और ठहरकर भी या जाकर भी, वो नहीं होता तब भी आपमें होता है और उसका किया वादा निभाते हुए कि "ये ज़िन्दगी तुम्हारे नाम"......

©श्री(अवनी)




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