जब तुम छोड़ जाओगे



जब तुम छोड़ जाओगे 
शायद मैं ना रहूं 
या मैं ना बचूं
कुछ स्मृतियां बची होंगी जो
उगना चाहेगी बार बार मानसिक पटल पें 

संभवतः ठीक कहते हैं कि 
खोजा गया ईश्वर 
विरासत में मिले ईश्वर से बेहतर होता है
तुम मेरी खोज थे 
जिसके लिए हम भटके जीवन के कई
दुर्गम वनों से

जानते हो सखा
हर बार नदियों को समंदर नहीं नसीब होता 
कुछ नदियों के भाग्य में बस 
सतत बहना लिखा होता है
अप्राप्त की कल्पना भी कभी कभी
रच डालती है एक नये प्राप्ति को

तुम ठीक कहते थे कि
प्रेम की कोई निजी भाषा नहीं होती
वो किसी भाषा व व्याकरण का बाट नहीं जोहती 
प्रिय मुझे लगता है अब 
प्रेम ही किसी का बाट नहीं खोजता 
वो पाने की महत्वाकांक्षा न होकर
दूर होने का कर्तव्य प्रेम है

©श्रीऋ भार्गवी