प्रेम में स्त्री ❤️

एक स्त्री मात्र हृदय नही चुराती वो चुरा लेती है संपूर्ण पुरूष को.... उसके स््त्रीत्व का अधिपत्य हृ…

कैसे मेरा अस्तित्व तुमसे

हे प्रिये!.....तुम पूछती हो कैसे मेरा अस्तित्व तुमसे..... लुप्त कंठ उच्चारित करते  गान ध्वनि का सुर न…